“गुरु और शास्त्र ।”/guru or shastra/by shivendra swroop

“गुरु और शास्त्र ।” नारायण। शास्त्र तो अनादि काल से मौजूद है, वह हमारा कल्याण कहाँ कर पाया। विचार करने पर पता लगता है कि हमें सद्‌गुरू मिले तभी हमारा कल्याण हुआ, अतः वे ही प्रधान हेतु हैं। सूर्य कमल को खिला तो देता है पर तभी जब कमल जल में हो , बाहर पड़े […]

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